घुमारवी ( विनोद चड्ढा): कांग्रेस सरकार द्वारा 167 जूनियर इंजीनियर्स की सेवाएं समाप्त करने का निर्णय अन्यायपूर्ण व तानाशाही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता महेन्द्र धर्मानी ने सरकार के इस निर्णय को कर्मचारी विरोधी मानसिकता का परिचायक बताते हुए कहा की चुनावों में झूठे वायदे करके सत्ता में आई सरकार अब कर्मचारियों की उचित मांगों को न मानकर उनके साथ अमानवीय व्यवहार करने पर उतारु दिखती है, जो अत्यन्त निन्दनीय है।
महेन्द्र धर्माणी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनावों से पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु व उप-मुख्यमन्त्री मुकेश अग्निहोत्री ने जिला परिषद कर्मचारियों के धरने व आन्दोलन में शामिल होकर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तुरंत इस मांग को पूरा करने का आश्वासन कर्मचारियों को दिया था, लेकिन सत्ता प्राप्ति के बाद कांग्रेस अपनी आदत और स्वभाव के अनुसार अपने चुनावी वायदे से पीछे हट रही है और कर्मचारियों को प्रताड़ित करने पर आमदा है। भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस निर्णय का जोरदार विरोध करती है। गाँव के विकास में इन जिला परिषद कर्मचारियों का महत्वपूर्ण व सराहनीय योगदान है। अपने व परिवार के भविष्य की चिन्ता के कारण यह कर्मचारी शान्तिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे है और सरकार सत्ता के अहंकार से इस आन्दोलन को कुचलने का काम कर रही है, जो सरकार की संवेदनहीनता को जाहिर करता हैं।
उन्होनें कहा कि कांग्रेस प्रतिवर्ष । लाख नौकरी देने के वायदे (गारंटी) के साथ सत्ता में आई थी परन्तु सरकार नौकरी न देकर कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनने का काम कर रही है। 10 माह के अन्दर आई.जी.एम.सी शिमला, जल शक्तिविभाग, पीडब्लयूडी स्वास्थ्य विभाग ( कोरोना वूमेन) में आउटसोर्स कर्मचारियोें की सेवाएं समाप्त कर दी गई जिसके कारण इन कर्मचारियों के सामने रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। मजबूर होकर कर्मचारी आन्दोलन कर रहे हैं।
महेन्द्र धर्मानी ने सरकार से मांग की कि जिला परिषद् के अन्तर्गत काम कर रहे 167 जूनियर इंजीनियर्स की सेवाओं को समाप्त करने के निर्णय को वापिस ले। सरकार जिला परिषद कमचारियो के मांगों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाकर सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनानेे और अपने चुनावी वायदे के अनुरूप कर्मचारियों की मांगों को पूरी करें।
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