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मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर जोगिन्दर नगर से राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन।


रिपोर्ट : विजय कुमार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा मणिपुर के मुख्यमंत्री को तुरंत उनके पदों से हटाने की मांग। 
 
हिमाचल किसान सभा, जनवादी महिला समिति, एसएफआई, डीवाईएफआई व सीटू के कार्यकर्ताओं ने मणिपुर की हिंसा के विरोध में आज जोगिंदर नगर में एस डी एम कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। इसके बाद एसडीएम कार्यालय के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन भी दिया। 
इस अवसर पर किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज, ब्लाक अध्यक्ष रविन्दर कुमार, चौंतड़ा जोन की प्रधान नीलम वर्मा, रणा-रोपा जोन उपाध्यक्ष नरेश धरवाल, जनवादी महिला समिति की संतोष कुमारी, डीवाईएफआई के ब्लाक अध्यक्ष संजय जमवाल, सीटू से पूर्ण चंद, एस एफआई की सचिव संजना सहित सभी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। 

इस अवसर पर कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हम सब मणिपुर हिंसा को लेकर तत्काल कार्यवाही की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 86 दिनों से मणिपुर में बेलगाम हिंसा जारी है। इस हिंसा में सैंकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में 70 हजार लोग प्रभावित होकर बेघर हुए हैं। ये सभी लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। भाजपा की प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह की संवेदनहीन व पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण स्थिति दिनोंदिन भयावह होती जा रही है। राज्य में महिलाओं, युवतियों व छोटी बच्चियों के यौन शोषण व बलात्कार की घटनाएँ आम हो गई हैं। गत दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुई दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके परेड करवाने व उनके सामूहिक बलात्कार की 4 मई 2023 की घटना ने देश व सभ्य समाज को झकझोर कर रख दिया है। किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में यह बेहद लज्जाजनक घटना है। मणिपुर की भाजपा सरकार इस तरह की घटनाओं को लगातार छिपाने की कोशिश करती रही है तथा दोषियों को मूक समर्थन देती रही है। सरकार की अक्षमता व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण मणिपुर में स्थिति लगातार बिगड़ रही है। 
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि यह आश्चर्यजनक बात है कि इस तरह की हिंसा व बलात्कार की घटनाओं पर देश के प्रधानमंत्री तीन महीने तक मौन रहे। जब दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड व सामूहिक बलात्कार की घटना का वीडियो वायरल हुआ तो प्रधानमंत्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए भारी संवेदनहीनता का परिचय दिया तथा राजस्थान और छतीसगढ़ के मसले उठाकर मणिपुर मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की। उनका बयान पूरी तरह गैर जिम्मेदाराना था और उन्होंने देश में बलात्कार, सामूहिक हत्याओं व हिंसा की घटनाओं जैसे संवेदनशील मुद्दों को राजनीति का शिकार बना दिया। किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में नागरिकों को यह मंजूर नहीं हो सकता। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह व देश के गृह मंत्री अमित शाह की कार्यप्रणाली मणिपुर हिंसा के मसले पर संदेह के घेरे में रही है। उनकी अक्षमता, पक्षपात व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण मणिपुर व देश की जनता का विश्वास मणिपुर की भाजपा सरकार व केंद्र सरकार से पूर्णतः उठ चुका है। 
राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कुशाल भारद्वाज, रविन्दर कुमार, नीलम वर्मा, संजय जमवाल, सुदर्शन, संजना ने उपरोक्त संगठनों की तरफ से मांग की कि इस सारी पृष्ठभूमि में मणिपुर के विषय में राष्ट्रपति का हस्तक्षेप अपेक्षित है। उन्होंने आशा है की आप इस विषय पर तुरंत कार्यवाही अमल में लायेँगी। अतः आप से निवेदन व मांग है कि:- 
मणिपुर हिंसा पर तत्काल रोक लगाई जाये। 
हिंसा, बलात्कार व सामूहिक हत्याओं के लिए ज़िम्मेवार लोगों पर सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाये, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाये तथा उनके खिलाफ मुकद्दमों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर उन्हें कड़ी सजा सुनिश्चित की जाये। 
मणिपुर में सांप्रदायिक सौहार्द कायम किया जाये। 
मणिपुर में तत्काल शांति वहाल की जाये। 
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह व देश के गृह मंत्री अमित शाह की अक्षम, पक्षपाती व भेदभावपूर्ण कार्यप्रणाली के चलते उन्हें तुरंत उनके पदों से हटाया जाये। 
मणिपुर में महिला उत्पीड़न, बलात्कार व यौन शोषण की घटनाओं पर रोक लगाई जाये। 
बेघर लोगों को राहत शिविरों में बेहतर सुविधाए उपलब्ध कारवाई जाएँ व उन्हें उनके मूल निवास में पहुंचाने तथा सुरक्षा देने के यथाशीघ्र ठोस उपाए किए जाएँ। 
हिंसा व बलात्कार की घटनाओं का शिकार हुए लोगों व महिलाओं को उचित राहत उपलब्ध कारवाई जाये।

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